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Bihar Board Class 10th History Chapter 1 Yurop me Rashtravad – यूरोप में राष्ट्रवाद
Chapter 1 : Europ mein Rashtrawaad Notes
1. राष्ट्रवाद क्या है ?
उत्तर – राष्ट्रवाद का शब्दिक अर्थ होता है ! भक्ति की भावना का फैलाव या विस्तार परिभाषा के रूप में जब किसी भी देश के नागरिक को अपने देश के प्रति मर मिटने आथवा कुछ दिखाने की भावना उत्पन्न होती है ! वही भावना राष्ट्रवाद कहलाती है |
2. मेजिनी कौन था ?
उत्तर – मेजिनी इटली के सेनापति के साथ साथ लोतान्त्रिक विचारों का समर्थक और साहित्यकार व्यक्ति था | जिसने इटली के एकीकरण के लिए 1831 में यंग इटली तथा 1834 में यंग यूरोप के नाम से दो संस्था बनाया |
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3. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ क्या थी ?
उत्तर – जर्मनी के एकीकरण की निम्नलिखित बाधाएँ थी, जो इस प्रकार से है –
क. यह लगभग 300 छोटे बड़े राज्यों में बाँटा हुआ था |
ख. राष्ट्रवाद की भावना का अभाव |
ग. आस्ट्रिया का हस्तक्षेप |
घ. मेटरनिख का घोर प्रतिक्रिया वादी निति |
ड. इन राज्यों में व्याप्त राजनितिक समाज तथा धार्मिक
4. मेटरनिख युग क्या है ?
उत्तर – 1815 से लेकर 1848 के बिच की अवधि को मेटरनिख युग समझा जाता है | मेटरनिख नए अपने शासनकाल के दौरान उसने यूरोप की राजनीति में इतनी प्रमुख भूमिका निभाई की इस काल की अवधि को मेटरनिख युग कहा जाता है |
5. 1848 के फ़्रांसिसी क्रांति के क्या कारण थे ?
उत्तर – 1848 के फ़्रांसिसी क्रांति के निम्नलिखित कारण थे, जो इस प्रकार से है –
क. राजा का किसी भी क्षेत्र में सुधार न करना :-
रूस का जार किसी भी क्षेत्र में सुधार नही कर सका | जिसके कारण आर्थिक स्थिति उत्पन्न हो गई तथा उधोग धंधे नष्ट हो गए | जिससे चारो तरफ बेरोजगारी फ़ैल गई | जो क्रांति का कारण बना |
ख. राजा द्वारा प्रतिक्रिया वादी निति :-
राजा पूंजीपति वर्ग को अपने पक्ष में कर लिया था | तथा समाजवादी को किसी तरह की सुविधा नहीं दिया | जिसके परिणाम स्वरूप समाजवादी राजा के खिलाफ हो गए | जो क्रांति का कारण बना |
ग. गीजो का घोर प्रतिक्रियावादी निति :-
राजा फिल्प नए गीजो को अपना प्रधानमंत्री बनाया | गीजो प्रधानमंत्री बनते ही लोकतान्त्रिक लागू कर दिया | जिससे जानता गीजो के खिलाफ हो गई | जो क्रांति का कारण बना |
घ. राजनितिक दलों में संगठन का अभाव :-
1848 फ्रांसीसी क्रांति के प्रमुख कारणों में राजनितिक दलों में संगठन का अभाव भी क्रांति का एक प्रमुख कारण बना |
ड. भुखमरी और बेरोजगारी की समस्या :-
राजा अपने राज्यों में किसी प्रकार का सुधार नहीं किया | जिसके परिणाम स्वरूप चारो तरफ बेरोजगारी तथा भुखमरी की समस्या पैदा हो गई | जो क्रांति का कारण बना |
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6. इटली और जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया की क्या भूमिका थी ?
उत्तर – इटली और जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया सबसे बड़ी बाधा थी | आस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिख घोर प्रतिक्रियावादी व्यक्ति था | वह किसी भी हाल में जर्मनी और इटली का एकीकरण नहीं होने देना चाहता था | उसने इटली तथा जर्मनी के एकीकरण हेतु होने वाले सभी आंदोलनों को बडाने का प्रयास किया |
7. यूरोप में राष्ट्रवाद फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक सिद्ध हुए ?
उत्तर – यूरोप में राष्ट्रवाद फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट नए काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | उसने जर्मनी के 300 छोटे – बड़े राज्यों के स्थान पर 39 राज्यों के संघ बनाकर जर्मनी की जनता में राष्ट्रवाद का भावना भरा | उसने इटली और जर्मनी के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक तथा राजनितिक रूप रेखा प्रदान की | जिससे एकीकरण का मार्ग शुरू हुआ | इस प्रकार नेपोलियन का कार्य पुरे यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में सहायक सिद्ध हुआ |
8. गैरीबाल्डी के कार्यो की चर्चा करे ?
उत्तर – गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक थे | जो विक्टर एमैनुएल और काउंट काबुर की तरह इटली का एकीकरण चाहते थे | किन्तु मेजिनी के विचार धारा का प्रबल समर्थक थे | इसलिए उन्होंने अपने सैन्य संगठन के द्वारा 1862 में इटली पर आक्रमण किया | जहाँ उनकी मुलाकात काउंट काबुर से हुई | दोनों नेताओं नए बातचीत के माध्यम से आपसी मतभेद को दूर किया | वह 1862 में ही दक्षिणी इटली को जीतकर एकीकरण के लिए विक्टर एमैनुएल और काउंट काबुर के हवाले कर दिया | इन दोनों के मना करने के बावजूद भी अपनी सारो सम्पति को राष्ट्रीय सम्पति घोषित कर | एक किसान की जिन्दगी बिताने लगे |
9. बिलियम 1 के बैगर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असम्भव था ? कैसे |
उत्तर – बिलियम 1 के बैगर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असम्भव था | यह कथन सत्य है | क्योकि बिलियम 1 के द्वारा ही बिस्मार्क को प्रशा का चांसलर बनाया गया था | जहाँ से पाने कूटनीति का परिचय देते हुए | जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया को पूरा किया | यदि बिलियम नए बिस्मार्क को प्रशा का चांसलर नहीं बनाया होता | तो शायद बिस्मार्क के हाथो में शक्तियाँ नहीं आती है | जिसके सहारे रक्त और लौह की निति को अपनाकर जर्मनी के एकीकरण का कार्य पूरा किया |
10. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन कीजिए ?
उत्तर – जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका इतिहास के पन्नो में यादगार बना रहेगा | क्योकि जिस समय बिस्मार्क प्रशा का चांसलर नियुक्त हुए | उस समय जर्मनी 339 राज्यों में विभक्त था | अपनी कूटनीति तथा साहस का परिचय देते हुए | रक्त एवं लौह की निति अपनाएँ | सबसे पहले उन्होंने आस्ट्रिया से संधि को समाप्त किया | तथा प्रशा और आस्ट्रिया के बिच 1866 में सेडवा का युद्ध हुआ | जिसमे आस्ट्रिया बुरी तरह पराजित हुआ | पराजय के संग ही आस्ट्रिया को जर्मनी का राज वापस करना पड़ा |
11. इटली के एकीकरण में मेजिनी , काउंट काबुर , गैरीबाल्डी के योगदानो को बताएँ ?
उत्तर – इटली के एकीकरण में तीन व्यक्तियों का योद्गन महत्वपूर्ण था | जो इस प्रकार से है –
क. मेजिनी का योगदान :-
इटली के एकीकरण में मेजिनी का महत्वपूर्ण योगदान था | वह साहित्यकार के साथ – साथ गणतांत्रिक विचारों का समर्थक तथा एक योग्य सेनापति थे | जिसने इटली के एकीकरण की प्रारम्भिक चरण की शुरुआत की | वह जगह – जगह पर अपने विलक्षण भाषणों से लोगो में राष्ट्रवाद का भाव भर | इस कार्य में उन्हें देश भी छोड़ना पड़ा | परन्तु मेजिनी नए हार नहीं मानी | औए उन्होंने 1831 में यंग इटली नामक संस्था की स्थापना की | जिसने न्यू इटली के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई | मेजिनी सम्पूर्ण इटली का निर्माण कर एक गणराज्य बनाना चाहते थे | परन्तु इसमें सबसे बड़ी बाधा आस्ट्रिया था | जो हर हाल में इटली का एकीकरण नहीं देखना चाहता था | और इसने मेजिनी के सभी आंदोलनों की कुचल डाला | जिससे मेजिनी को किसी दुसरे देश में पलायन करना पड़ा |
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ख. काउंट काबुर का योगदान :-
इटली के एकीकरण के दुसरे चरण काउंट काबुर के योगदान से शुरू होता है | काउंट काबुर एक सफल कूटनीतिक के साथ – साथ एक राष्ट्रवादी व्यक्ति था | इटली के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा आस्ट्रिया को मानता था | और उसने आस्ट्रिया को हराने के लिए एक मजबूत सेना तैयार करने का प्रयास किया | और अपने कुटनीतिक चाल से विक्टर एमैनुएल के नजदीक गया | विक्टर एमैनुएल नए उसे अपना प्रधानमंत्री नियुक्त कर लिया | अब काउंट काबुर के हाथो में एक शक्तिशाली सेना थाई | उसने अपने कुटनीतिकग्य चाल से आस्ट्रिया को हराने के लिए फ़्रांस से दोस्ती का हाथ बढाया | और आस्ट्रिया को पराजित कर दिया | इस प्रकार बहुत सारे क्षेत्रो को जीतकर एक मजबूत इटली का निर्माण किया
ग. गैरीबाल्डी का योगदान :-
इटली के एकीकरण के तृतीय चरण गैरीबाल्डी के योगदान से होता है | गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक था | परन्तु वह भुत महान क्रांतिकारी था | उन्होंने जगह – जगह आन्दोलन करके लोगो में अपने देश के प्रति एकता सहानुभूति भक्ति का भाव भरा | तह जाकर इटली का एकीकरण संभव हुआ | इन्होने अपनी सारी सम्पति को स्वतन्त्रता संग्राम में लुटा दिता | त्याग और बलिदान के इस भावना के कारण गैरीबाल्डी के चरित्र को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान खूब प्रचलित किया गया | गैरीबाल्डी शक्ति के माध्यम से दक्षिणी इटली पर आक्रमण करके दक्षिणी इटली को संगठित करना थे | और इसमें उनको सफलता भी प्राप्त हुई | गैरीबाल्डी द्वारा जीते गए दक्षिणी इटली को विक्टर एमैनुएल को सौप दिया गया | इस प्रकार से इटली का एकीकरण पूरा हुआ |
12. यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय के क्या कारण थे ? तथा इसके प्रभाव का वर्णन करे ?
उत्तर – यूरोप में राष्ट्रवाद के उदय के निम्नलिखित कारण थे जो इस प्रकार से है –
क. पूर्ण जागरण :-
पूर्ण जागरण का शब्दिक अर्थ होता है | फिर से जगना जागरण के परिणाम स्वरूप जानता में बौद्दिकता एवं तर्क वादी तक का विकास हुआ था | और बिना ट्रक के किसी बात को स्वीकार नहीं करना चाहते थे | और तो पुनः जगरण राष्ट्रवाद के उदय का एक और कारण बना |
ख. फ़्रांस की क्रांति :-
राष्ट्रवाद के उदय में फ़्रांस की क्रनरी का भी प्रमुख योगदान था | क्योकि यह क्रांति राष्ट्र , भाईचारा के नाम पर लड़ी गई थी | और इस क्रांति का नारा था | की राष्ट्र की जय हो और यह क्रांति राष्ट्रवाद के उदय का कारण बना |
ग. सामंतवादी व्यवस्था :-
सामंतवादी व्यवस्था के चलते समस्त अधिकार सामान्य आथवा उच्च वर्ग के हाथो में थे ! तथा आम जनता की स्थिति अत्यंत शोचनीय थी ! जो राष्ट्रवाद के उदय का एक कारण बना |
घ. राष्ट्रीयता की भावना का विकास :-
पुनः जागरण के परिणाम स्वरूप प्रत्येक देश में राष्ट्रवादी विचार धाराओं का विकास हुआ ! जिससे राष्ट्रवादी आन्दोलन का जन्म हुआ ! जो राष्ट्रवाद के उदय का एक कारण बना |
ड. मध्यम वर्ग का उदय :-
मध्यम वर्ग का उदय होने से उसने परम्परागत शासन पद्धति और जनता के शोषण के विरुद्ध आवाज उठने लगी ! जो राष्ट्रवाद के उदय का कारण बना |
च. 1804 का नेपोलियन कोड :-
नेपोलियन बोनापार्ट फ़्रांस में लोकतंत्रिक व्यवस्था को सुधर करने के लिए कुछ नियम और कानून बनाएँ ! जो फ़्रांस के साथ यूरोप देश के अन्य सभी देशो में देखा गया ! जो राष्ट्रवाद के उदय का एक कारण बना ! राष्ट्रवाद के प्रभाव के रूप में 1830 से 1848 की फ़्रांसिसी क्रांति से इटली जर्मनी यूनान तथा हंगरी के एकीकरण को देखा गया |
13. सर्वहार वर्ग किसे कहते है ?
उत्तर – समाज का वैसा वर्ग जिसमे गरीब , किसान , मजदूर , आम गरीब लोग शामिल हो वैसे वर्ग को सर्वहारा वर्ग कहते है |
14. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करे ?
उत्तर – जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका इतिहास के पन्नो में यादगार बनकर रहेगा ! क्योकि जिस समय वे प्रशा का चांसलर नियुक्त हुए ! उस समय जर्मनी 339 राज्यों में विभक्त थी ! बिस्मार्क अपने कूटनीति तथा साहस का परिचय देते हुए ! एक्ट एवं लौह की निति अपनायी ! सबसे पहले आस्ट्रिया से संधि को समाप्त किया ! अल्ताफ राजा और आस्ट्रिया के बिच 1866में सोडवा का युद्ध हुआ ! जिसमे आस्ट्रिया बुरी तरह पराजित हुआ |
पराजय के साथ ही आस्ट्रिया को जर्मनी का राज्य वापस करना पड़ा ! जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका बिस्मार्क की दूसरी निति फ़्रांस के साथ शुरू हुई ! स्पेन के राजकुमार के हत्या को लेकर 20 मार्च के ऊपर 19 जून 1870 को उड़ान के मैदान में युद्ध के लिए घोषित कर दिया गया ! इसमें फ़्रांस बुरी तरह पराजित हुआ ! पराजय के बाद 20 मार्च के साथ 10 मई की संधि के द्वारा सभी प्रक्रिया पूरी कर दिया गया |
15. जुलाई 1830 की क्रांति का विवरण दे ?
उत्तर – फ़्रांस की लुइ 18 वाँ के शासन का अंत होने पर चांसलर दशम गदी पर बैठा | फ़्रांस की जनता को उम्मीद था ! की चांसलर दशम लोकतान्त्रिक विचार धारा लागू करेगा ! लेकिन चांसलर दशम ठीक उसके विपरीत और प्रतिक्रियावादी शासक निकला ! वह निरंकुश प्रवृति के व्यक्ति था ! फ़्रांस में सुधार वादी को कुचलने के लिए निरंकुश निति को लागू कर दिया |
फलतः फ़्रांस की जनता चांसलर दशम की निति से 18 जुलाई 1830 को उसके खिलाफ हो गई ! जिससे युद्ध प्रारम्भ हो गया ! जिसके परिणाम स्वरूप चांसलर दशम को फ़्रांस की गदी छोड़कर इंग्लैण्ड भागना पड़ा ! यही क्रांति जुलाई 1830 की क्रांति के नाम से जाना जाता है |
16. यूनानी स्वतन्त्रता आन्दोलन का संक्षिप्त विवरण दे ?
उत्तर – यूनान यूरोप महादेश का एक ऐसा देश है ! जो यूरोपीय महादेश का पालन कहा जाता है ! फिर भी तुर्की उसे अपना गुलाम बना रखा है ! इससे छुटकारा पाने के लिए ओडेसा नामक स्थान पर किरितीय खिलाई के नाम से एक संस्था बनाए ! इसके साथ – साथ इंग्लैण्ड के कवि लार्ड वायरल राष्ट्रवाद की भावना जगाने के लिए यूनान में तुर्की के हाथो मारे गए ! 1821 में एक जेंडर चीज सील यूनान सत्ता की बागडोर को सम्भाले उसी समय रूस के जार निकोलस यूनान की स्वतन्त्रता का समर्थन कर दिया |
1827 में इंग्लैण्ड और फ़्रांस का सम्मेलन हुआ | जिसमे करवाई करने का निर्णय लिया गया | निर्णय के आधार पर नवारिनो की खाड़ी में जो देश की सेना तुर्की है ! तुर्की हलात को देखते हुए 1829 में यूनान और उसके साथ एड्रिया की स्वतंत्रता दे दिया ! किन्तु रूस के कुछ रुकावट के कारण 1830 में युनान को पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त हुई |
Class 10th History Subjective Notes – इतिहास | |
पाठ – 1 | यूरोप में राष्ट्रवाद |
पाठ – 2 | समाजवाद एवं साम्यवाद |
पाठ – 3 | हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन |
पाठ – 4 | भारत में राष्ट्रवाद |
पाठ – 5 | अर्थव्यवस्था और आजीविका |
पाठ – 6 | शहरीकरण एवं शहरी जीवन |
पाठ – 7 | व्यापार और भूमंडलीकरण |
पाठ – 8 | प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद |
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