Vishwashanti question answer, Class 10th Sanskrit पाठ-13 विश्वशान्तिः, vishwashanti ka subjective question answer 2022 – 2023, Bihar board Sanskrit ( विश्व शांति ) objective question answer, कक्षा दसवीं के संस्कृत के प्रश्न उत्तर, 10th Sanskrit Chapter 13 Answer QuestioN
Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 13 Vishwashanti – विश्वशान्तिः Subjective
पाठ – 13 : विश्वशांति
1. विश्वशांति पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर – विश्व शांति शब्द का शाब्दिक अर्थ विश्व की शांति है ! आज चारो तरफ इर्ष्या द्देश असहिष्णुता अविश्वास असंतोष की भावना फैली हुए हो ! वहां शांति की कल्पना कैसे की जा सकती है ! इस पाठ का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति समाज और राष्ट्रों के बिच आपसी द्देश और असंतोष आदि को दूर करके शांति स्थापित करना है |
2. अशांति का मुख्य कारण कौन – कौन है ? तथा इसका निदान क्या है ?
उत्तर – अशांति का मुख्य कारण द्देश और असहिष्णुता है ! आज प्रत्येक देश दुसरे देश की उन्नति को देखकर इर्ष्या की अगिन में जल रहा है ! उसकी उन्नति को नष्ट करने के लिए छल – प्रपंच आदि का सहारा ले रहा है | अशांति को दूर करने केलिए द्देश असहिष्णुता तथा इर्ष्या की भावना को दूरकर अशांति को दूर किया जा सकता है |
3. विश्व शांति पाठ का परिचय पञ्च वाक्यों में दे ?
उत्तर – आज विश्व में विभिन्न प्रकार के विवाद छिड़े हुए है ! जिनसे देशो में आंतरिक एवं बाह्र्य अशांति फैली हुई है ! जाति धरम को लेकर एक दुसरे को आपस में लाड़ाया जा रहा है ! इससे अशांति का वातावरण बना हुआ है ! इस समस्या को उठाकर उसके उसके निवारण के लिए इस पाठ में वर्तमान स्थिति का निरूपण किया गया है |
4. विश्व शांति के लिए हमें क्या करना चाहिए ?
उत्तर – विश्व शांति के लिए हमें उपदेशो के अनुसार आचरण करना चाहिए हम जानते है ! की क्रिया के बिना ज्ञान भार के समान है ! वैर से कभी भी वैर शान्ति नहीं होता हमे निर्पैर दया परोपकार सहिष्णुता और मित्रता का भाव दुसरो के प्रति रखनी होगी ! तभी विश्व शांति हो सकती है |
S.N | Class 10th Sanskrit Subjective Notes |
पाठ – 1 | मङ्गलम् |
पाठ – 2 | पाटलिपुत्रवैभवम् |
पाठ – 3 | अलसकथा |
पाठ – 4 | संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः |
पाठ – 5 | भारतमहिमा |
पाठ – 6 | भारतीयसंस्काराः |
पाठ – 7 | नीतिश्लोकाः |
पाठ – 8 | कर्मवीर कथाः |
पाठ – 9 | स्वामी दयानन्दः |
पाठ – 10 | मन्दाकिनीवर्णनम् |
पाठ – 11 | व्याघ्रपथिक कथाः |
पाठ – 12 | कर्णस्य दानवीरता |
पाठ – 13 | विश्वशांतिः |
पाठ – 14 | शास्त्रकाराः |