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Bihar Board Class 12 Hindi Tulsidas Ke Pad Question Answer
पाठ – 3 : Tulsidas ke pad Notes in Hindi Question Answer BSEB
लेखक : तुलसीदास
जन्म : 1543मुत्यु : 1623जन्म स्थान : राजापुर उत्तरप्रदेश
बचपन का नाम : राम बोला
माता, पिता : हुलसी एवं आत्माराम दुबे
पत्नी : रत्नावली
गुरु : बाबा नरहिर दास
1. तुलसी को किस वस्तु की भूख है ?
उत्तर – तुलसी की भक्ति रूप अमृत के समान सुंदर भक्ति की भूख है ! अर्थात हे प्रभु अपने चरणों में वैसी भक्ति दे दीजिए की फिर कोई दूसरी कामना न रह जाए |
2. तुलसी सीता से कैसी सहायता मांगते है ?
उत्तर – तुलसी सीता से वचनों से ही सहयता मांगते है ! अर्थात वाणी की सहायता मांगते सीता माता से यह कहते है ! की यदि प्रभु मेरा नाम दसा पूछे तो यह बताना है ! की मै दीन्हीं हूँ मेरा अपना कोई नहीं है ! मै प्रतिदिन उन्ही के नाम लेकर अपना पेट भरता हूँ |
3. तुलसी सीधे राम से न कहकर सीता से क्यों कहलवाना चाहते है ?
उत्तर – तुलसी सीधे राम से न कहकर बात सीधे सीता से इसलिए कहलवाना कहते है ! की सीता राम की प्रिय धर्म पत्नी है ! कोई भी पुरुष अपनी पत्नी से अधिकतम प्रेम करता है ! और उसकी हर बात मानता है ! कोई भी पति आपने पत्नी की कही गई बात नहीं टाल पाटा है ! वैसे स्थिति सीता के साथ राम में भी है ! अतः अपनी बात को प्रभावी ढंग से पहुचाने के लिए कवि सीता से कहलवाना चाहते है |
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4. दुसरे पद में तुलसी नए अपना परिचय किस तरह दिया है ?
उत्तर – तुलसी नए इस पद में अपना परिचयण एक भिखारी के रूप में दिया है ! जो उनके दरवाजे पर सवेरे से ही रट लगाए हुए है ! ! की मुझे कुछ नहीं चाहिए राम के एक कवर जूठन टुकड़े से काम चल जाएगा |
5. राम के सुनते ही तुलसी की बिगड़ी बात बन जाएगी तुलसी के इस भरोसे का क्या कारण है ?
उत्तर – तुलसी कहते है ! की हे प्रभु मै अत्यंत दिन दुर्बल और पापी मनुष्य हूँ फिर भी आपका नाम लेकर अपना पेट भरता हूँ ! तुलसी को यह विश्वास है ! की राम कृपालु है ! वे हर बात को अच्छी तरह से समझकर उसका समाधान करते है ! यही उनके भरोसे का मुख्य कारण है |
6. कबहुक अब अवस गुण गन गई दिन सब अंग छिनछिन मालिन अधो अच्छाई ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में तुलसीदास जी कहते है ! की हे माता कभी अवसर हो तो कुछ करुना की बात छेदकर श्रीराम जी को मेरी भी याद दिला देना और कहना की मै बहुत ही गरीब कमजोर और पापी हूँ ! मै तेरी ही नाम जपकर पेट भरता हूँ इस पर प्रभु कृपालु करके पूछे की वह कौन है ! तो मेरा नाम और मेरी दसा उन्हें बता देना कृपालु रामचन्द्र जी के इतना सुन लेने से ही मेरी सारी बिगड़ी बात बन जाएगी हे जगत जननी माता यदि इस दास की आपने इस प्रकार वचनों से ही सहायता कर दी तो यह तुलसी दास आपकी स्वामी की गुणवान गाकर भाव सागर से तर जाएगा |
7. मुख देखि नाही धानी का क्या अर्थ है ?
उत्तर – मुख देखकर के नहीं कहना कबीर नए पक्षपात रहित होकर हिन्दू और मुसलमान दोनों को कहा है |
8. दवार ‘है’ भोर को आजू पेट भरी तुलसी ही जेवाइरो भक्ति सुधा सुनाजू ?
उत्तर – इस पंक्ति में तुलसी दास जी अपना परिचय एक भिखारी के रूप में दिया है ! जो उनके दरवाजे पर सवेरे से ही रट लगाए हुए है ! वह भिखारी कहता है ! की मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे एक कवर टुकड़े से ही काम चल जाएगा अर्थात हे प्रभु मुझे पर जरा सी कृपा दृष्टि कीजिए उसी दृष्टि से मै पूर्ण काम हो जाउंगा यदि आप कहे की कोई उधम का दारुण दुरभिक्ष पड़ गया है ! जितने उधम और उपाय साधन है ! सभी बुरे है !
कोई भी निर्विघन पूरा नहीं होता अतः आपसे भीख मांगना ही उचित समझ है ! तुलसी आपनी उद्महिता के लिए अपने आप को दोषी मानते है ! मैंने संतो से पूछा है ! की किसके शरण में जाने पर मुक्ति मिलेगा तो उन्होंने बताया है ! की कौशल पति महराज श्रीराम चंद्रजी ही यह काम सकते है ! मै जन्म का ही भूखा गरीब भीख मंगा हूँ बीएस अब इस तुलसी को भक्ति रूपी अमृत के समान सुंदर भोजन पेट भर खिला दीजिए |
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9. गोस्वामी तुलसीदास का जीवनी एवं उनके द्वारा संकलित पद का भावार्थ लिखे है ?
उत्तर – गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सन 1543 में हुआ था ! कुछ विद्वान उनका जन्म वन्दा जिला उत्तर प्रदेश को मानते है ! उनकी माता का नाम हुलसी तथा पिता का नाम आत्माराम दुबे था ! तुलसीदास का बचपन घोर कष्ट से बिता उन्हें माता पिता से बिछुड़कर अकेले जीना पड़ा आरम्भ में वे भीख मांगकर गुजरा करते थे ! उनके गुरु का नाम नरहरी था उनका विवाह दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्नावली से हुई थी ! उसकी के उपदेश से वे भगवान की भक्ति में लगे उन्होंने अयोध्या काशी चित्रकूट आदि नाना तीर्थो के यात्रा की लम्बे समय तक वे रामगुन गान करते रहे सन 1623 में उनका देहांत हो गया उनकी प्रसिद्ध रचना रामचरित मानस , गीतावली , कवितावली , जानकी मंगल पार्वती मंगल आदि है |
10. पठित पदो के आधार पर तुलसी कि भक्ति भावना को परिचय दीजिए ?
उत्तर –प्रस्तुत पधांशो में कवि तुलसीदास ने अपनी दीनता तथा दरिद्रता से मुक्त पाने के लिए मां सीता के माध्यम से प्रभु श्रीराम के चरणों में विनय से युक्त प्राथना प्रस्तुत करते है ! वे स्वयं को प्रभु का दास कहते है ! नाम लव भरो उदर द्वारा स्पष्ट है ! जाता है ! कि श्री राम के नाम जप से उनके लिए सब कुछ है ! नाम जप द्वारा उनकी लौकिक भूख भी मिट जाती है ! संत तुलसिदास ने अपने को अनाय कहते हुए कहते है ! की मेरा व्यथा गरीबी की चिंता श्री राम के सिवा दूसरा कौन है ! बुझेगा श्री राम ही एक मात्र कृपालु है ! जो मेरी बिगड़ी बात बनाएंगे मां सीता से तुलसीदास जी प्रार्थना करते है ! कि हे मां आप मुझे अपने वचनों द्वारा सहायता कीजिए यानी आशीर्वाद दीजिए कि मैं भवसागर पार करने वाले श्री राम की गुणवान सदैव करता हूं |
दूसरे पधांश में कवि अत्यंत ही भावुक होकर प्रभु से विनती करता है ! कि हे प्रभु आपके सिवा मेरा दूसरा कौन है ! जो मेरी सुधि लेगा मै तो जन्म जन्म का आपकी भक्ति का भूखा हूं ! मै तो दीनहीन दरिद्र हूं ! मेरी दैनिय अवस्था पर करुणा कीजिए ताकि आपकी भक्ति में सदैव तल्लीन रह सकूं |
Class 12th Hindi 100 Marks Subjective Notes गद्य खण्ड | |
पाठ – 1 | बातचीत |
पाठ – 2 | उसने कहाँ था |
पाठ – 3 | सम्पूर्ण क्रांति |
पाठ – 4 | अर्धनारीश्वर |
पाठ – 5 | रोज |
पाठ – 6 | एक लेख और एक पत्र |
पाठ – 7 | ओ सदानीरा |
पाठ – 8 | सिपाही की माँ |
पाठ – 9 | प्रगीत और समाज |
पाठ – 10 | जूठन |
पाठ – 11 | हँसते हुए मेरा अकेलापन |
पाठ – 12 | तिरिछ |
पाठ – 13 | शिक्षा |
Class 12th Hindi Subjective Notes पद्य खण्ड | |
पाठ – 1 | कड़बक |
पाठ – 2 | सूरदास के पद |
पाठ – 3 | तुलसीदास के पद |
पाठ – 4 | छप्पय |