Ram Nam Binu Birthe Jagi Janma, Ram Nam Binu Birthe Jagi Janma VVI Subjective Questions, class 10th Ram Naam Binu Birthe Janma, Cass 10th Hindi गोधूलि भाग 2 पद खण्ड (क) राम नाम बिनु बिरथे जनमा, Bihar Board Class 10 Hindi राम बिनु बिरथे जगि जनमा, कक्षा 10 हिन्दी काव्य खण्ड राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा, Class 10th ram nam binu birthe jagi janma subjective
Bihar Board Class 10th Hindi पद्य Chapter 1 Ram Nam Binu Birthe Jagi Janma
पाठ – 1 : राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा
शीर्षक – राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा
लेखक – गुरुनानक जी
जन्म – 1469 में तलबंडी ग्राम जिला लाहौर
मुत्यु –1539 में
लेखक परिचय :- राम नाम बिनु बिर्ठे जगि जनमा पाठ के कवी गुरु नानक जी है | इनका जन्म 1459 ई. में तलवंडी ग्राम जिला लाहौर में हुआ था | इनके जन्म स्थान को ननकाना साहब के नाम से जाना जाता है | जो वर्तमान में पाकिस्तान में है
इसकी प्रमुख रचनाएँ :- जपुजी , आसादिवार , रहिरास और सोहिला आदि है |
कुछ प्रमुख बाते
- गुरुनानक के पिता का नाम कालू चन्द्र खत्री था |
- गुरुनानक के माता का नाम तृप्ता एवं पत्नी का नाम सुलक्ष्मी था |
- गुरुनानक के जी के पिता उन्हें व्यापारी बनाना चाहते थे |
- गुरुनानक ने निर्गुण ब्रह्मा का प्रचार किया |
- गुरुनानक ने सिख धर्म की स्थापना की |
- गुरुनानक की मुलाकात मुग़ल सम्राट बाबर से हुई थी |
- गुरुनानक हिंदी , पंजाबी एवं वज्र भाषा आदि के जानकार थे |
- सन 1939 में गुरुनानक देव जी वाहेगुरु कहते हुए अपने प्राण त्याग दिए |
- गुरुनानक की रचनाओं का संग्रह सिख धर्म के पांचवे गुरु गुरु अर्जुन देव ने 1604 ई. में किया |
- जो गुरु ग्रन्थ साहब के नाम से प्रसिद्ध है |
- सिख धर्म में कुछ 10 गुरु हुए है |
- जिनमे प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी एवं दसवे गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी थे |
- 10 गुरुओ के बाद गुरु ग्रन्थ साहब को ही गुरु माना जाता है |
पाठ के साथ
1. कवी किसके बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है ?
उत्तर –कवी गुरु नानक देव राम नाम के बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है |
2. वाणी कब विष के समान हो जाती है ?
उत्तर –जब मनुष्य राम नाम को छोड़कर कोई अन्य शब्द बोलता है | तो उसकी वाणी विष के समान हो जाती है |
3. नाम कीर्तन के आगे कवी किन कर्मो की व्यर्थता सिद्ध करता है ?
उत्तर – कवी गुरु नानक देव जी कमंडल लेकर घूमना बड़े – बड़े केस रखना शरीर में भस्म लगाना तीर्थ स्थानों का भ्रमण करना आदि कर्मो को राम नाम के आगे व्यर्थ मानते है |
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4. हरिरस से कवी का अभिप्राय क्या है ?
उत्तर – कवी गुरु प्रसाद को हरिरस कहते है |
5. कवी की दृष्टि में ब्रह्मा का निवास कहाँ है ?
उत्तर – वैसे मनुष्य जिसमे काम और क्रोध ना हो उनके हृदय में ब्रह्मा का निवास होता है |
6. गुरु की कृपा से किसकी युक्ति की पहचान हो पाती है ?
उत्तर – गुरु नानक देव जी के अनुसार गुरु की कृपा से राम नाम की युक्ति की पहचान हो पाती है |
7. राम नाम बिनु बिरथे जगी जन्मा शीर्षक के सारांश लिखे ?
उत्तर – इस कविता में गुरु नानक जी कहते हैं कि जो मनुष्य राम का भजन नहीं करता है ! उसका इस दुनिया में आना न के समान है बिना कुछ बोले विष का पान करता है !तथा वह माया रुपी संसार में भटकता हुआ रहता है !राम का ज्ञान ना जप कर माया जाल में फंस जाता है ! शास्त्र पुराण चर्चा करता है ! कि सुबह शाम दोपहर तीनों समय जो बंदना करता है ! उसे भगवान का सहारा मिलता है ! गुरु नानक जी लोगों से यही कहते हैं ! कि भजन के बिना व्यक्ति को संसार में मुक्ति नहीं मिलती |
इस कविता में गुरु नानक जी कहते हैं ! कि जो मनुष्य दुख को दुख नहीं मानता जिसे किसी प्रकार के सुख सुविधा लालच नहीं रहता ! जो मिट्टी को सोना समझता है ! तथा जिसको किसी से भी लाभ नहीं रहता है ! जिसके लिए अपमान मान के बराबर है ! वैसे मनुष्य के हृदय में ईश्वर का निवास होता है ! उसके पास कितनी भी बड़ी समस्या आ जाए ! वह व्यक्ति नहीं घबराता है ! वही व्यक्ति आगे बढ़ता है |
8. प्रथम पद के आधार पर बताए की कवि ने अपने युग में धर्म साधना के कैसे – कैसे रूप देखे थे ?
उत्तर – प्रथम पद के आधार पर कबीर धर्म साधना के बारे में बताएं है !कि प्राचीन काल में साधु लोग दंड कमंडल धारण करते थे !तथा लंबे लंबे केश दाढ़ी रखते थे ! उस समय ब्राह्मण में चमक दमक तथा दिखावा थी |
9. आधुनिक जीवन में उपासना के प्रचलित रूप को देखते हुए नानक के इन पदो की क्या प्रासंगिकता है !अपने शब्दों में विचार करें ?
उत्तर – आधुनिक जीवन में उपासना से इस बात की बात करते हैं !जो प्राचीन काल से आ रही परंपरा है ! आज भी लोग तीर्थ व्रत पूजा पाठ वेशभूषा तथा संप्रदायिक तक का विचार की बात करते हैं ! इसमें थोड़ा सा ऊंच-नीच का गिरावट आया है ! आज भी मनुष्य में सच्ची भक्ति की उत्साह है |
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व्याख्या करें
क. राम नाम बिनु अरुगी मरै
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ के काव्यखंड से राम नाम बिनु बिरथे जगी जन्मा शीर्षक से लिया गया है ! जिसके लेखक गुरु नानक जी है ! वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है ! कि ईश्वर की प्रति प्रेम से होती है ! जो व्यक्ति स्वर से सच्चे दिल से प्रेम करते है ! वह संसार की जाल से मुक्त हो जाते है ! तथा उनके जीवन में कोई भी परेशानीया नहीं आती है |
ख. कंचन माटी जानो
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ के काव्यखंड से लिया गया है ! जिसके लेखक गुरु नानक जी है ! वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है ! कि जो मनुष्य दुख को दुख नहीं समझता है ! समय अनुसार सुखी भोजन और सोने की मिट्टी को एक समान समझता है ! वही व्यक्ति भगवान को प्राप्त कर सकता है |
ग. हरष सोक ते रहै नियारो नाहि मान अपमाना
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारे हिंदी पाठ्यपुस्तक काव्यखंड से लिया गया है ! जिसके लेखक गुरु नानक जी है ! वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है ! कि व्यक्ति अपना सब कुछ त्यागकर राम नाम का जप करता है ! उसको सांसारिक विषयों के बारे में कोई चिंता नहीं रहता है ! जिससे उसके दिल में भगवान का निवास हो जाता है |
घ. नानक लीन भयो गोबिंद सो ज्यो पानी संग पानी
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पाठ के काव्यखंड से राम नाम बिनु बिरथे जगी जन्मा शीर्षक से लिया गया है ! इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह बताना चाहते है ! कि व्यक्ति को भक्ति में ऐसा लीन हो जाना चाहिए ! जैसे प्रकाश समुद्र अपनी मर्यादा के साथ रहता है ! जैसे नदी जल का अस्तित्व समुंद्र में मिल जाने से समाप्त हो जाता है ! वैसे ही अब भक्त भी गोविंद में मिल जाए तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है |