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Bihar Board Class 10th Hindi Chapter 7 Prampra Ka Mulyankan – परंपरा का मूल्यांकन Notes
पाठ – 7 परम्परा का मूल्यांकन
लेखक – रामविलास शर्मा
जन्म – 10 अक्टूबर 1921 में उतर प्रदेश
मुत्यु – 30 मई 2000 में दिल्ली में
1. परंपरा का ज्ञान किन के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों ?
उत्तर – परंपरा का ज्ञान उनके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है ! जो सारी रूढ़िवादिता तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य में परिवर्तन लाना चाहते हैं ! क्योंकि उन्हें डर है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो क्रांति के तहत साहित्य को मुख्य रूप से अलग ना पहुंचा दे |
2. परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक क्यों महत्वपूर्ण मानता है ?
उत्तर – परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक इसलिए महत्वपूर्ण मानता है ! क्योंकि परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य का अग्रणी भूमिका है ! साहित्य के वर्गीय आधार का उपयोग और विवेक द्वारा नव सूजन किया जा सकता है ! इस प्रकार हमारी परंपरा लोगों को जगाने का काम करती है |
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3. साहित्य का कौन सा पक्ष अपेक्षाकृत अस्थाई होता है इस संबंध में लेखक की राय स्पष्ट करें
उत्तर – साहित्य का परंपरा अपेक्षाकृत अधिक स्थाई होता है ! जिसमें मनुष्य की इंद्रियां बोध उसकी संभावनाओं को व्यक्त कर देती है ! जिसे लेखक का मानना है ! कि हमारी परंपरा से साहित्य की न्व्सुजन में सहयोग होती है |
4. साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह संपन्न नहीं होती जैसे समाज में लेखक का आशय स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर – साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह संपन्न नहीं होती जैसे समाज में लेखक जाता है ! कि युग परिवर्तन शील होता है समाज में विकास के साथ-साथ साहित्य में भी क्रमिक रूप से विकास होता है ! क्योंकि समाज और साहित्य सो जाती है तथा पूंजीवाद की प्रगति शीलता से अधिक साहित्य प्रगतिशील होती है |
5. लेखक मानव चेतना को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए भी उसकी सापेक्ष स्वाधीनता किन सिद्धांतों द्वारा प्रमाणित करता है ?
उत्तर – लेखक ने मानव चेतना की आर्थिक संबंधों को द्वंद्वात्मक बताया है ! तथा उसको प्रभावशाली मानते हुए सापेक्ष स्वाधीनता प्रमाणित कर देता है ! कहा जाता है कि सब कुछ परिस्थितियों द्वारा ही अनिवार्य नहीं होता यदि मनुष्य परिस्थितियों का निर्णायक नहीं है ! तो परिस्थितियां भी मनुष्य का निर्णायक नहीं होती लेखक दोनों में दोनों आत्मक संबंध बताया है इसलिए साहित्य सापेक्ष स्वाधीनता ही है |
6. साहित्य के निर्माण में प्रतिभा की भूमिका स्वीकार करते हुए लेखक की खतरों से आगाह करता है ?
उत्तर – साहित्य के निर्माण में प्रतिभा की भूमिका स्वीकार करते हुए लेखक यह कहना चाहते हैं ! कि लोग जो करते हैं वह सब कुछ हो या जरूरी नहीं होता है ! लेकिन काला की पूर्णता निर्दोष भी भयंकर दोष है |
7. राजनीतिक मूल्यों से साहित्य के मूल्य अधिक अस्थाई कैसे होते हैं ?
उत्तर – राजनीतिक मूल्य की अपेक्षा साहित्य की मूल्य अधिक अस्थाई इस प्रकार होती है ! यदि कोई साहित्यकार दूसरे की आलोचना से पूरे नहीं होता है ! तो राजनीतिक दावा भी पूरा नहीं कर सकती है क्योंकि राजनीतिक से ज्यादा पेड़ ना साहित्य देता है ! साहित्य से ही व्यक्ति अपना ज्ञान अपार जान कर संसार को संचालित करता है |
8. जातीय अस्मिता विभिनता का लेखक किस प्रसंग में उल्लेख करता है और उसका क्या महत्व बताता है ?
उत्तर – लेखक ने जातीय अस्मिता का उल्लेख यूनानी यों के प्रसंग में किया है ! जब जन समुदाय एक व्यवस्था से दूसरी व्यवस्था में प्रवेश करता है ! तो उनकी जातियां अस्मिता नष्ट नहीं होती है एवं मानव समाज को बदलता है ! किंतु उसकी पुरानी अस्मिता कायम नहीं होती है ! भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के दौरान देश इसी जातीय अस्मिता का पहचान करता है ! आता तन मन समुदाय को एक जाति के रूप में संगठित करते हैं ! उनमें इतिहास संस्कृत परंपरा के आधार पर निर्मित अस्मिता का ज्ञान महत्वपूर्ण है |
9. जातियां और राष्ट्रीय अस्मिता ओं के स्वरूप का अंतर करते हुए लेखक दोनों में क्या समानता बताता है ?
उत्तर – जातियां और राष्ट्रीय अस्मिता ओं में लेखक व समानता बताता है कि जिस समय राष्ट्र की सभी तत्व को मुसीबत आ जाती है ! तो उस समय राष्ट्रीय अस्मिताओं का ज्ञान अति आवश्यक है ! इस तरह उस समय राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हो जाता है |
10. बहु जातीय राष्ट्र की हैसियत से कोई भी देश भारत का मुकाबला क्यों नहीं कर सकता ?
उत्तर – बहु जातीय राष्ट्र की हैसियत से कोई भी देश भारत का मुकाबला नहीं कर सकता क्योंकि यहां राष्ट्रीयता एक जाति द्वारा दूसरे जाति पर राजनीतिक प्रभुत्व कायम करके स्थापित नहीं किया गया है ! यह सब संस्कृति और इतिहास की देन है |
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11. भारत की बहू जातियां मुख्य तो संस्कृति और इतिहास की देन है कैसे ?
उत्तर – भारत की बहू जातियां मुख्यतः संस्कृति और इतिहास की देन है ! क्योंकि संस्कृति और इतिहास के निर्माण में इस देश के कवियों का सबसे ऊंचा स्थान है ! यदि इस देश की संस्कृति से रामायण और महाभारत को अलग करते हैं ! तो भारतीय साहित्य की आंतरिक एक ता टूट कर बिखर जाएगी |
12. किस तरह समाजवाद हमारी राष्ट्रीय और सकता है इस प्रसंग में लेखक के विचार पर प्रकाश डालें ?
उत्तर – समाजवाद हमारे राष्ट्रीय आवश्यकता है इस प्रसंग में लेखक अपना विचार इस प्रकार बताते हैं ! कि देश के साधनों का सबसे अच्छा प्रयोग समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है ! अनेक छोटे बड़े राष्ट्र समाजवादी व्यवस्था कायम कर के आगे बढ़ गए हैं ! इसलिए भारत की राष्ट्रीय क्षमता का विकास समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है |
13. निबंध का समापन करते हुए लेखक कैसा सपने देखता है उसे साकार करने में परंपरा की क्या भूमिका हो सकती है विचार करें ?
उत्तर – निबंध का समापन करते हुए लेखक स्वप्न देखता है ! कि जान भारत की सभी जनता साक्षर होगी तो बड़े पैमाने पर संस्कृति आदान प्रदान होगी विभिन्न भाषाओं में लिखा हुआ ! साहित्य जिसमें जातियां सीमाएं लांघ कार सारे देश की संपत्ति बनेगा हम यूरोप की अनेक भाषाओं के साहित्य का अध्ययन करेंगे ! जिसमें मानव संस्कृति विश्व छात्र से भारतीय साहित्य की गौरवशाली परंपरा की नींवन योगदान होगी |
14. साहित्य सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है इस बात को प्रमाणित करने के लिए लेखक ने कौन से तर्क आवाज प्रमाण उपस्थित किए हैं ?
उत्तर – साहित्य सापेक्ष में स्वाधीन होता है इस मौत को प्रमाणित करने के लिए लेखक ने अमेरिका तथा एथेंस की गुलामी पर विचार किया है ! कि गुलामी अमेरिका तथा एथेंस दोनों में थी ! लेकिन एथेंस की सभ्यता सारे यूरोप को प्रभावित किया ! लेकिन वहीं अमेरिकी संस्कृति का थोड़ा सा भी योगदान नहीं हुआ |
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15. व्याख्या करें
क. बंगाल से विभाजित पंजाब की तुलना कीजिए तो ज्ञात हो जाएगा कि साहित्य की परंपरा का ज्ञान कहां ज्यादा है कहां कम है और इन न्यूनधिक ज्ञान के सामाजिक परिणाम क्या होते हैं ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारे हिंदी के पाठ्यपुस्तक परंपरा का मूल्यांकन शीर्षक से लिया गया है ! जिसके लेखक रामविलास शर्मा जी है ! इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह बताना चाहते हैं ! कि बंगाल पंजाब की तुलना में बंगाल का विभाजन सबसे अधिक है ! क्योंकि ज्ञान के फलस्वरूप राष्ट्र पर मुसीबत आती है ! वहां ज्ञान अधिक प्रभावशाली रूप से उजागर होता है |