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Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 12 Karnasya Danvirta – कर्णस्य दानवीरता Subjective
पाठ – 12 : कर्णस्य दानवीरता
1. कर्णस्य दानवीरता पाठ के नाटककार कौन है ! कर्ण किनका पुत्र था ? उन्होंने इंद्र को दान में क्या दिया |
उत्तर – कर्णस्य दानवीरता पाठ के नाटककार भास् है ! कर्ण कुंती का पुत्र था ! तथा उन्होंने इन्द्र को दान में कवच और कुंडल दिया |
2. दानवीर कर्ण ने इंद्र को दान में क्या दिया,, तीन वाक्यों में उत्तर दे ?
उत्तर – दानवीर कर्ण ने इंद्र को अपना कवच और कुंडल दान में दिया, कर्ण को ज्ञात था ! की यह कवच और कुंडल उसका प्राण रक्षक है ! लेकिन दानी स्वभाव होने के कारण उसने इंद्र रूपी ब्राह्मण को खाली लौटने नहीं दिया | तमिल प्ले
3. कर्ण की दानवीरता का वर्णन अपने शब्दों में करे ?
उत्तर – कर्ण सूर्य पुत्र है ! जिसे जन्म से ही कवच और कुंडल प्राप्त है ! जब तक कर्ण के शरीर में कवच – कुंडल है ! तब तक वह अजय है ! उसे कोई मार नहीं सकता है ! कर्ण महाभारत युद्ध में कौरव के पक्ष में युद्ध करता है ! अर्जुन इंद्र के पुत्र है ! इंद्र अपने पुत्र को बचाने के लिए छल पूर्वक कर्ण से कवच और कुंडल माँगने जाते है ! दानवीर कर्ण सूर्योपासना के समय किसी भी ब्राह्मण को निराश नहीं लौटाते है ! इंद इसका लाभ उठाकर दान में कवच और कुंडल मांग लेते है ! सब कुछ जानते हुए भी कर्ण अपने कवच – कुंडल को इंद्र को दे देते है |
4. कर्णस्य दानवीरता पाठ का पांच वाक्यों में परिचय दे ?
उत्तर – यह पाठ संस्कृत के प्रथम नाटककार भास् द्वारा रचित कर्णभार नामक एकांकी रूपक से संकलित किया गया है ! इसमें महाभारत के प्रसिद्ध पात्र कर्ण की दानवीरता दिखाई गई है ! इंद्र कर्ण से छलपूर्वक उनके रक्षक कवच कुंडल को मांग लेते है ! और कर्ण उन्हें दे देते है ! कर्ण बिहार के अंगराज का शासक थे ! इसमें संदेश है की दान करते हुए माँगने वाले की पृष्ट भूमि जान लेनी चाहिए ! अन्यथा परोपकार विनाशक भी हो जाता है |
5. कर्ण कौन था ? उसकी क्या विशेषता थी ?
उत्तर – कर्ण कुंती का पुत्र था ! परन्तु महाभारत के युद्ध में उसने कौरव पक्ष से लड़ाई की उसके शरीर पर जन्म जात कवच और कुंडल था ! जब तक यह कवच और कुंडल उसके शरीर से अलग नहीं होता, तब तक कर्ण की मृत्यु अस्मभ थी |
6. कर्ण को प्रणाम करने पर इंद्र ने उसे दीर्घायु होने का आशीर्वाद क्यों नहीं दिया ?
उत्तर – इंद्र जानते थे , की कर्ण को युद्ध में मारना असम्भव है ! कर्ण को यदि दीर्धायु होने का आशीर्वाद दे देते तो कर्ण की मृत्यु युद्ध में संभव नहीं थी ! वह दीर्घायु हो जाता कुछ नहीं बोलने पर कर्ण उन्हें मुर्ख समझता ! इसलिए इंद्र ने दीर्घायु होने का आशीर्वाद न देकर सूर्य चन्द्रमा हिमालय और समुन्द्र की तरह यशस्वी होने का आशीर्वाद दिया |
S.N | Class 10th Sanskrit Subjective Notes |
पाठ – 1 | मङ्गलम् |
पाठ – 2 | पाटलिपुत्रवैभवम् |
पाठ – 3 | अलसकथा |
पाठ – 4 | संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः |
पाठ – 5 | भारतमहिमा |
पाठ – 6 | भारतीयसंस्काराः |
पाठ – 7 | नीतिश्लोकाः |
पाठ – 8 | कर्मवीर कथाः |
पाठ – 9 | स्वामी दयानन्दः |
पाठ – 10 | मन्दाकिनीवर्णनम् |
पाठ – 11 | व्याघ्रपथिक कथाः |
पाठ – 12 | कर्णस्य दानवीरता |
पाठ – 13 | विश्वशांतिः |
पाठ – 14 | शास्त्रकाराः |