Chhappay Question Answer | Bseb Class 12 Hindi छप्पय Subjective

chhappay class 12 hindi question answer bihar board, छप्पय objective question, Hindi class 12 chapter 4 – छप्पय – नाभादास, कक्षा 12 हिन्‍दी छप्‍पय | Chhappay class 12 hindi, कक्षा 12 हिन्‍दी छप्‍पय | Chhappay class 12 hindi chhapay, छप्पय पाठ का सारांश, 12th Hindi Chhappay(छप्पय)

Bihar Board Class 12th Hindi Chhappay Subjective Question Answer

पाठ – 4 : chhappay notes in hindi class 12th bihar board
शीर्षक : छप्पय
लेखक : नाभादास
जन्म :
1570मुत्यु : 1600गुरु : अग्रदास
जन्म स्थान : दक्षिण भारत

1. नाभादास के छप्पय का सारांश अपने शब्दों में लिखे ?

उत्तर – नाभादास कबीर और सुर पर लिखे गए छप्पय भक्तकाल से लिए है ! पहली पद कबीरदास से लिया गया है ! उनके अनुसार जो मनुष्य भक्ति से विमुख हो जाता है ! वह किसी लायक नहीं रहता है ! भक्ति के बिना योग जंग व्रत दान भजन सभी कुछ बेकार है ! व्यक्ति को मनुष्य के लिए ऐसा वचन कहना चाहिए जो सबको पसंद हो और सबके भलाई की बात कहता हो इस संसार पर ऐसा दवा सवार है ! जो प्रत्यक्ष देकर कोई कार्य नहीं करता है ! बल्कि सुनी सुने बातो पर विश्वास कर लेता है ! इसलिए कबीर नए कहा है ! की आप कोई भी काम सुनी सुनाई कामो को मत कीजिए |

सूरदास :-

नाभादास कहते है ! की सुर की भक्ति में ऐसा चमत्कार है ! की उनकी स्थिति दुसरे पर भारी पड़ती है ! वचन में प्रेम का अर्थ निर्वाह अद्भुत तक के साथ रहते है ! उनकी दिव्य दृष्टि में ह्रदय में हरिलीला का आभाव हो रहा है ! जन्म कर्म गुण रूप सब जिन्दगी से प्रकाशित किया है ! निर्मल बुर्धि जिसकी है ! जो यह गुण सुनता है ! वह सुर के समान कोई कवि नहीं है जो सुर के आगे

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Facebook Group Join Now

2. आत्महत्या एक घृणित अपराध है यह पूर्णतः कायरता का कार्य है सप्रसंग व्यख्या करे ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों भगत सिंह द्वारा लिखित एक लेख और एक पत्र से लिया  गया है ! भगत सिंह ने  सुख्ठो नामक क्रन्तिकारी मित्र को लिखे एक पत्र में कहा था ! की वे भले ही कुछ परिस्थितियों में आत्महत्या को सही मानने लगे हो पर जो इस विषय में उनका का मत था वही उनका अब भी है ! यानी भगत सिंह आत्महत्या को एक घृणित अपराध पुर्णतः कायरता का कार्य मानते है ! इसे किसी भी परिस्थिति में वे अनुचित मानते है |

3. पुत्र के लिए उसकी माँ क्या क्या करती है ?

उत्तर – माँ को बच्चे के लिए शीत से रक्षा करने की चिंता रहती है ! माँ गोद से भी उसे नहीं उतरती है ! बच्चे की आवाज सुनकर वह दौड़कर आती है और उसकी रक्षा करती है ! माँ थपकी देकर बच्चे सुलाती है ! माँ हर पत्थर को देव मानकर बच्चे के लिए दुआ सलामत मांगती है ! नारियल फल और फुल चढ़ाती है ! लेकिन बच्चा छींटे ही वह आशय और विवश हो उठती है |

4. राख से लिपा हुआ चौका के बारे में कवि का क्या कहना है ?

उत्तर – सूर्योदय के समय असमान के वातावरण में नभी दिखाई दे रही है ! और वह राख से लिपा हुआ गीला चौका सा लग रहा है ! इससे उसकी पवित्रता झलक रही है ! कवि नए सूर्योदय से पहले आकाश को रख से लिपे चौके के समान इसलिए बताया है ! ताकि वह उसकी पवित्रता को अभिव्यक्त कर सके |

5. जन जन का चेहरा एक से कवि का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर – जन जन का चेहरा एक कविता अपने में एक विशिष्ट व्यापक अर्थ समेटे हुए है ! कवि पीड़ित संघर्षशील जनता की एक रूपता तथा समान चिंतनशीलता का वर्णन कर रहा है ! कवि की सम्वेदना विश्व की तमाम देशो में संघर्ष जनता के प्रति मुर्खित हो गई जो अपने अधिकारों के लिए कार्यरत है ! एशिया यूरोप अथवा कोई भी एनी महादेश या प्रदेश में निवाश करने वाले समस्त प्राणियों का शोषण तथा उत्पीडन के प्रतिकार का स्वरूप एक जैसा है ! उनमे एक अदृश्य एवं अप्रत्यक्ष एकता है |

छप्पय लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

6. मेरा खोया हुआ खिलौना अब तक मेरे पास ना आया सप्रसंग व्यख्या करे ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों हमारी पाठ्य पुस्तक दिंगत भाग- 2 के पुत्र वियोग शीर्षक कविता से लिया गया है ! यह कविता सम्वेदनशील कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की सरकत लेखनी से मिश्रित हुई है ! कवित्री नए इन पंक्तियों में पुत्र वियोग से उपजी नैराश्य की भावना का चित्रण किया है ! कवित्री प्रकृति में व्याप्त उल्लास पूर्ण वातावरण में अपने जीवन में सूनापन अनुभव कर रही है ! प्रस्तुत पकती में कवित्री अपने खोये हुए ! खिलौने पुत्र को वापस न पाने का विषाद दुःख इन पंक्तियों में कवित्री के कहने का आशय यह है ! की उसकी प्रिय संतान छीन गया है ! उसके पुत्र की मुत्यु हो गई है ! अब वह उसके पास वापस नहीं आएगा यह नियति का उसके साथ एक क्रूर मजाक है ! जिसने उसके जीवन में सूनापन ला दिया है |

7. दुनिया के हिस्सों में चारो ओर जन जन का युद्ध एक पंक्तियों के भाव स्पष्ट करे ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक दिंगत पाठ- 2 के जन जन का चेहरा एक शीर्षक कविता से लिया गया है ! इस काव्यांश के रचयिता सुप्रसिद्ध कवि मुक्तिबोध है ! इन पंक्तियों में कवि का कथन है ! की संसार के सम्पुँर्ण क्षेत्र में चारो ओर प्रत्येक व्यक्ति द्वारा छेड़ा गया युद्ध भी एक शौली में है ! वह अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहता है ! की सम्पुरण विश्व में युद्ध का वातावरण है ! तथा हर व्यक्ति एक प्रकार से ही युद्ध में लिप्त है ! किन्तु कवि अनुभव करता है ! की दुरात्मा पूर्ण आत्मा सज्जन एवं दुर्जन कभी की आत्मा एक समान है ! पवित्र एव दोष रहित है |

8. जिस पुरुष में नारीत्व नहीं वह अपूर्ण है पंक्तियों का भाव स्पष्ट करे ?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियां रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखित अर्धनारीश्वर शीर्षक से लिया गया है ! जिसमे बारित्व के महत्व को सुभ शैली में व्यक्त किया गया है ! पुरुष कठोर स्वभाव का होता है ! किन्तु स्त्री के आशेष कोमलता होती है ! यदि पुरुष में नारीत्व की कोमलता आ जाए तो उसके सील की पुरुषता की समाप्ति संभव है ! परुष की एकंग्रिता नारीत्व की गुणवता पाकर ही खंडित हो सकती है ! बिन नारी के पुरुष अधुरा रह जाता है ! दिनकर का दृष्टिकोण सही है ! की हर पुरुष में नारी की कर्तव्य विशेषताओ का समावेश आवश्यक है !

शिव के अंदर अर्धनारीश्वर का यही अभिप्राय है ! की उनके व्यक्तित्व में कठोरता और कोमलता एक साथ विधमान है ! शिव के तांडव की उग्रता का और शक्ति या पार्वती के लास्य का एकीकरण है ! स्त्रियोचित गुणों को पाकर पुरुष का व्यक्तित्व निखर जाता है ! दया करुणा छमता आदि की प्रवृतिया पुरुष की कठोरता को दूर करती है ! इन वांछनीय गुणों की प्राप्ति के बाद ही पुरुष पूर्ण होता है ! प्रेम चन्द्र ने भी गोदान में कहा है ! की जिस पुरुष में नारी के गुण आ जाते है ! देवता हो जाते है |

9. उत्सव का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर – उत्सव का सरथ खुशिया मनाना होता है ! जब देश या समजा में अच्छा काम होता है ! तो यहाँ सभी घरो में खुशिया मानी जाती है ! परन्तु हमारे पाठ्य पुस्तक में कवि नए राजनितिक झूठ को दिखाया है ! यहाँ शासक एवं सत्ताधारी वर्ग अपनी हार की घोषणा नहीं करता यह अपनी हार की घोषणा नहीं करता है ! यह अपनी हार को भी विजय के रूप में प्रस्तुत करता है ! और अपनी प्रजा को बरम में रखता है ! प्रजा तो समझती है ! की शासक की जीत हुई है ! पर वास्तविकता दूसरी होती है ! शासक अपनी हार का जसं के माध्यम से प्रजा के पास जीत के रूप में प्रस्तुत करता है ! और उसे यह स्वीकार करने पर मजबूर करता है ! की वह बलवान और समर्थ है ! सुकी कभी पराजय नहीं हो सकती है |

10. सडको को क्यों सिचा जा रहा है ?

उत्तर – विजय पर्व माने के लिए सडको को सींचा जा रहा है ! विजयी सेना उन्ही सडको से आने वाली है ! विजय सेना को सडको की गर्द और घुल की सामना न करना पड़े इसलिए सडको को सींचा जा रहा है |

11. पंच परमेश्वर के खो जाने पर कवि चिंतित क्यों है ?

उत्तर – पंच परमेश्वर का अर्थ है ! पंच के पद पर विरजमान व्यक्ति अपने दायित्व निर्वाह के प्रतिपूर्ण सचेष्ट एवं सतर्क रहता है ! वह निष्पक्ष न्याय करता है ! उन पर संबधित व्यक्ति का पूर्ण आस्था रहती है ! तथा उसका निर्णय देववाक्य होता है ! कवि यह देखकर अत्यंत दुखित है ! की आधुनिक पंचयती राज्य व्यवस्था में पंच परमेश्वर की सार्थकता विलुप्त हो गई है ! एक प्रकार से अन्याय और अनैतिकता नए व्यवस्था को निष्क्रिय कर दिया है ! पंगु बना दिया है ! पंच परमेश्वर शब्द अपनी सार्थकता खो चूका है ! कवि इन्ही कारणों से चिंतित है |

12. शिवाजी की तुलना कवि भूषण नए किन किन से की है ?

उत्तर – प्रस्तुत कविता में महाकवि भूषण नए छत्रपति महाराज शिवाजी की तुलना इंद्र, समुन्द्र ,की आग, श्रीराम पवन, जंगल, की आग शेर चिता प्रकास अर्थात सूर्य कृष्ण से ही है |

13. हरचरना कौन है उसकी क्या पहचान है ?

उत्तर – हरचरना अधिनायक शीर्षक कविता में एक आम आदमी का प्रतिनिधित्व करता है ! वह एक स्कुल जाने वाला बदहाल गरीब लडका है ! राष्ट्रीय त्यौहार के दिन झंडा फहराने जाने के जलसे में राष्ट्र गान दुहराता है ! हरचरना की पहचाना फटा सुथरा पहने एक गरीब छात्र के रूप में है |

bseb 12th class hindi subjective question answer chhappay

14. पेशगी कहानी का सारांश अपने शब्दो मे लिखे ?

उत्तर –प्रस्तुत हेनरी लोपेज़ द्वारा लिखित पेशगी मे तथा कथित स्पटा समाज द्वारा शोषण एवं उत्पीड़न का अत्यंत सवभविक एवं संवेदनशील चित्रण है ! कहानी पेशगी अफ्रीका देशकांगे के भोपाल नामक स्थान से प्रारम्भ गैर फ्रांसीसी परिवार से इसका सम्बन्ध है ! उस परिवार में कार्मे नामक एक अफ्रीका मूल की नौकरानी काम करती है ! उस बंगले का चौकीदार फाडिनाक नामक वयोवृद्ध व्यक्ति है ! मालकिं को इस पूरा कहानी में मैडम कहकर उसके नाम का प्रयाय हो गया है ! मालकिन कि एक नन्ही सी पुत्री फ्रेकवा है ! जो अपनी मां की दुलार में कुछ जिवी एवम् चिड़चिड़ी हो गई है ! कारमेन उसको प्यार करती है ! तथा उसे हमेशा खुश देखना चाहती है ! दिन भर उसकी छोटी लड़की फ्रेक्वा की देखभाल में कारमेन का समय बीतता है !

इसके अतिरिक्त उस बगले का अन्य कार्य भी उसे करने पड़ते है ! फ्रेक्व अक्सर मचल जाती है ! किसी बात पर उड़च जाती है ! उस समय नौकरानी कभी कभी डाटकर तथा कभी स्नेह तथा मामता पूर्व शब्दो से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए समझती है ! क्योंकि बच्ची के प्रति वात्सत्य उमड़ पाता है ! अपने हेकतर के समान ही वह फरेकवा को मानती थी ! कारमेन को अपने गांव मंकेलेकल बगले पर पहुंचने में एक घंटा से अधिक समय लग जाता है ! लेकिन जब तक फ्रेकवा जो नहीं जाती थी तब उसे लोरी सुनाकर धुमती रहती है ! चाहे रात अधिक भी बीत जाए अपने घर लौटने में मालकिन कभी कभी नाराज होकर कुछ कट्टु शब्द बोल दिया करती थी

15. तुमुल कोलाहल कलह में कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट करे ?

उत्तर – प्रस्तुत तुमुल कोलाहल में शीर्षक कविता आधुनिक काल के सर्वश्रेस्ट कवि जय शंकर प्रसाद द्वारा विचरित है ! प्रस्तुत कविता में कवि नए जीवन रहस्य को सरल और सांकेतिक भाषा में सहज ही अभिव्यक्त किया है ! कवि कहना चाहते है ! की रे मन इस तूफानी रन क्षेत्र जैसे कोलाहल पूर्ण जीवन में मै हृदय की आवाज के समान हूँ कवि के अनुसार भीषण कोलाहल कलह विज्ञान है ! तथा शांत हृदय के भीतर छिपी हुई बात आशा है ! कवि कहता है ! की जब नित्य चंचल रहने वाली चेतना पिकल होकर नींद के पल खोजती है ! और ठक कर अचेतन सी होने लगती है ! उस समय में नींद के लिए विकल शरीर को माधक और स्पर्शी सुख मल्यनिल के मंद झोके के रूप में आनन्द के रस की बरसात करता है |

कवि के अनुसार जब मन चिर विषाद में विलीनं है ! व्यथा का अंधकार घना बना हुआ है ! तह मै उसके लिए उषा की ज्योति रखा हूँ पुष्प के समान खिलता हुआ प्रातः काल हूँ अर्थात कवि का दुःख में भी सुख की करुणा किरने फूटती दिखाई पड़ती है ! कवि के अनुसार जीवन मरुभूमि की धधकती ज्वाला के समान है ! जहाँ चातकी जल के कण प्राप्ति हरतु तरसती है ! इस दुर्गम विषम और ज्वालामय जीवन में मै मरुस्थल की वर्षा के समान परम सुख का स्वाद चखने वाली हूँ अर्थात आशा की प्रप्ति से जीवन में मधुर रस की वर्षा होने लगती है | कवि को अभाग मानव जीवन पवन की परिधि में सर झुकाए हुए रुका हुआ सा प्रतीत होता है ! इस प्रकार जिनका सम्पूर्ण झुलस रहा हो ऐसे दुःख दगत लोगो को आशा वसंत की रात के समान जीवन को रस बनाकर फुल सा बना देती है |

16. हार जीत कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट करे ?

उत्तर – अशोक वाजपेयी द्वारा रचित हार जीत एक गध कविता है ! या एक ग्ध्नुमा कविता है ! यह कविता लिखने की एक आधुनिक विधा है ! सम स्मायिकता इसकी विशेषता है ! अशोक वाजपेयी हिंदी के एक प्रमुख कवि आलोचक एवं विचारक कला मर्मग्य है ! वे सम्पादक एवं संस्कृति कर्मी भी है ! जीत की बिडम्बना को हार जीत गध कविता प्रकाश में लाती है ! जनता उत्सव मना रही है ! सारे शहर में रौशनी की व्यवस्था की जा रही है ! जनता को पता है ! की उनकी सेना और रथ विजय प्राप्त करके लौट रहे है |

chhappay notes in hindi 12th class bihar board

नागरिको मे से ज्यादातर को पता नहीं है ! ! की कसी युद्ध में उनकी सेना और शासक गए थे युद्ध किस बात पर हुआ था यह भी पता नहीं है ! की देश का दुश्मन कौन था यह भी पता नहीं है ! लेकिन सभी नागरिक को सिर्फ इतना ही पता है ! की उनकी देश की विजय हुई है ! उनका आशय क्या है ! यह भी पता नहीं है ! सेना की विजय हुई है ! या शासक की या नागरिको की यह भी पता नहीं है | किसी के पास पूछने का अवकास नहीं है ! नागरिको को यह पता नहीं है ! की कितने सैनिक गए थे कितने विजयी पाकर वापस आ रहे है ! युद्ध में मरने वाले सैनिको की सूचि अप्रकाशित है |

सिर्फ एक मस्क रखने वाला पानी का थैला र्कहने वाला जनता है ! वह कह रहा है ! की एक फिर हम हर गए है ! गाजे बजे के साथ जीत नहीं हार लौट रही है ! उस मास्क वाले की घोषणा पर कोई ध्यान नहीं देता है ! की इस बार जीत नहीं हार लौट रही है ! उस मस्क वाले पर केवल सड़के सिचने की जिम्मेवारी है ! उसे शौच को दर्ज करने या बोलने की जिम्मेवारी नहीं डी गई है ! जिन लोगो पर विजय पराजय की घोषणा करने की जिम्मेवारी है ! वे सेना के स्थ ही जीतकर लौट रहे है ! देश की जनता युद्ध में अधंकार में रहती है ! देश में युद्ध विषयक सुचना सही सही प्रचारित प्रसारित नहीं की जाती है |

17. भूषण की कविता कवित्र का सारांश लिखे ?

उत्तर – पुस्तक में भूषण के दो व्यक्ति है ! जिनमे से प्रथम कवित्र में महाकवि भूषण नए राष्ट्र नायक छत्रपति शिवाजी की महिमा का गुणगान किया है ! कवि कहता है ! की जिस प्रकार इंद्र का यम पर आधिपत्य है ! बन्दगिनी जैसे सागर के जल का समन करती है ! ठीक उसी प्रकार रघुकुल के राजा श्रीराम चन्द्र जी का घमंडी रावण पर राज है ! जिस प्रकार पवन बादलो को तितर बितर कर देता है ! तथा भगवन शिव को कामदेव पर अधिकार प्राप्त है ! जैसे सहसार्जुन पर पशुराम नए विजय पाई थी जगंल के आग यानी द्वान्ग्नी जिस प्रकार जंगल के वृक्षों की टहनी को जला देती है ! जिस प्रकार चिता शेर मृग झुण्ड पर वार करता है ! भूषण कवि कहते है ! की ठीक उसी प्रकार हठी पर स्वर हमारे छत्रपति शिवाजी मृगराज की तरह सुशोभित हो रहे है |

12th class hindi chhapay subjective question answer

यानी शेर बनकर गर्जना कर रजे है ! जिस प्रकार तेज सूर्य के आगे ताम का सम्राज्य विनष्ट हो जाता है ! जिस प्रकार कंश का विनाश कर विजय पाई जाती है ! उसी प्रकार मलेछ वंश पर यानि औरंजेब पर शेरो के शेर हमारे छत्रपति शिवाजी का भी व्याप्त है ! यानि छत्रपति शिवाजी का व्यक्तित्व एक सुरमा का है ! एक महान योद्धा के गुणों से श्री सम्पन्न है ! उनमे अटूट देश भक्ति है ! ! संस्कृति के प्रति रक्षा का भाव है ! दीन्हीं अब्लाव के प्रति न्यायोचित भाव एवं व्यहार है ! महराज शिवाजी का व्यक्तित्व हमारे लिए व्वंद्नीय है ! पूजनीय है | प्रस्तुत कविता में शिवाजी का चित्रण है ! जुझारू संकल्प शक्ति से पूर्ण महामानव का चित्रण है !

विष्णु की दृष्टि से छत्रपति शिवाजी महाराज एक जननायक है ! लोकनायक है ! धीरता , वीरता गंभीरता के प्रतीक पुरुष है ! वे सच्चे अर्थ में एक राष्ट्र वीर है ! द्रितीय कविता में राजा छ्त्रशाला की वीरता का सांगोपांग वर्णन है ! रणक्षेत्र में छत्रसाल की तलवार प्रलयकारी सूर्य की किरणों के समान प्रखर और प्रचंड रूप धारण कर स्थान से निकलती है ! वह विशाल हाथियों के समूह जैसे घन अंधकार को छीन भीं कर डालती है ! कहने का भाव यह है ! की गाजर मुली की भांति हाथियों को कट गिराती है ! शत्रुओ के गर्दन से यह नागिन टी रह लपक कर जा गिरती है ! इस प्रकार देखते देखते झुंडो की ढेर लगा देती है ! कवि कहता है ! बलिष्ट और विशाल भुजा वाले महाराज छत्रसाल मै आपकी तलवार शत्रु योद्धाओ के फटक जाल को काट-काट कर रणचंडी की बह्न्ति किलकारी न्हारती है ! काल मुत्यु विनाश को ग्रास भोजन बनाती है |

18. उषा कविता में आकाश के बदलते रंगों का वर्णन करे ?

उत्तर – प्रातः काल का दृश्य बड़ा मोहक होता है ! उस समय श्याम लता वेतिमा तथा लालिमा का सुंदर मिश्रण दिखाई देता है ! रात्रि की नीरवता समाप्त होने लगती है ! प्रकृति में नया निखार आ जाता है ! आकाश में स्वच्छता निर्मलता पवित्रता व्याप्त दिखाई देती है ! सरोवरी तथा नदियों के स्वच्छ जल में पड़ने वाले प्रतिबिम्ब बड़े आकर्षक तथा मोहक दिखाई देते है ! आकाश लिपे हुए चौके के समान पवित्र तथा हल्की केशर से युक्तशील के समान तथा जल में झलकने वाली गोरी देह के समान दिखाई देता है |

Class 12th Hindi 100 Marks Subjective Notes गद्य खण्ड
पाठ – 1बातचीत 
पाठ – 2उसने कहाँ था 
पाठ – 3सम्पूर्ण क्रांति 
पाठ – 4अर्धनारीश्वर 
पाठ – 5रोज 
पाठ – 6एक लेख और एक पत्र 
पाठ – 7ओ सदानीरा 
पाठ – 8सिपाही की माँ 
पाठ – 9प्रगीत और समाज 
  पाठ – 10जूठन 
  पाठ – 11हँसते हुए मेरा अकेलापन 
  पाठ – 12तिरिछ 
  पाठ – 13शिक्षा
Class 12th Hindi Subjective Notes पद्य खण्ड
पाठ – 1कड़बक 
पाठ – 2सूरदास के पद 
पाठ – 3तुलसीदास के पद 
पाठ – 4छप्पय

Tags :- chhappay notes in hindi, chhappay question answer 12th class, bihar board class 12th hindi notes chhappay question answer, bseb chhappay question answer in hindi bihar board, chhappay subjective notes, 12th class hindi chhappay, ncert chhappay notes in hindi class 12th

Leave a Comment