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Bihar Board Class 9th Hindi Chapter 2 Bharat ka Puratan Vidyapith Nalanda – भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा Question Answer
पाठ – 2 : भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा
लेखक – राजेन्द्र प्रसाद
1. नालंदा की वाणी एशिया महाद्वीप में पर्वत और समुद्रों के उस पार तक फैल गई थी। इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए?
उत्तर – नालंदा की वाणी एशिया महाद्वीप में पर्वत और समुद्रों के उस पार तक फैल गई थी। क्योकि नालंदा में ज्ञान साधना के सुरभित पुष्प खिले हुए थे। तथा एशिया महाद्वीप के विस्तृत भू-भाग में ज्ञान सम्बन्धी सूत्र भी ईसके साथ जुड़ गए थे। जिसके चलते ज्ञान के क्षेत्र में देश और जातियों के आपसी भेद लुप्त हो जाती है। इन्हीं सब कारणों के चलते कहा गया है। की नालंदा की वाणी और ज्ञान के साधन एशिया महाद्वीप में पर्वत और समुद्रों के उस पार तक फैल गई थी।
2. मगध की प्राचीन राजधानी का नाम क्या था और वह कहाँ अवस्थित थी ?
उत्तर – मगध की प्राचीन राजधानी का नाम राजगृह था। और वह 5 पर्वतों के मध्य में बसी हुई थी।
3. बुद्ध के समय नालंदा में क्या था ?
उत्तर – महात्मा बुद्ध के समय नालंदा के गाँव में प्रवाजिकों का आम्रवन था ।
4. महावीर और मेखलिपुत्त गोसाल की भेंट किस उपग्राम में हुई थी ?
उत्तर – महावीर और मेख्लिपुत्त गोसाल की भेंट जैन ग्रंथो के अनुसार नालंदा के उपग्राम वाहिरिक में हुई थी।
5. महावीर ने नालंदा में कितने दिनों का वर्षावास किया था ?
उत्तर – महावीर ने नालंदा में 14 वर्षा का वर्षावास किया था। Sangharsh 2
6. तारानाथ कौन थे। उन्होंने नालंदा को किसकी जन्मभूमि बताया है ?
उत्तर – तारानाथ तिब्बत के एक विद्वान इतिहास लेखक थे। तथा उन्होंने नालंदा को सारिपुत्र की जन्मभूमि बताई है।
7. एक जीवंत विद्यापीठ के रूप में नालंदा कब विकसित हुआ ?
उत्तर – ऐसे तो नालंदा की प्राचीनता महात्मा बुद्ध और अशोक दोनों से संबंधित है। किन्तु एक जीवंत विद्यापीठ के रूप में नालंदा लगभग गुप्तकाल में हुआ। Gadar 2
भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा प्रश्न उत्तर इन हिंदी
8. फाह्यान कौन थे ? वे नालंदा कब आए थे ?
उत्तर – फाह्यान एक चीनी यात्री थे। जो चौथी शताब्दी में नालंदा आये थे। उन्होंने सारिपुत्र के जन्म और परिनिर्वाण स्थान पर निर्मित स्तूप के दर्शन किए। वह नालंदा के बड़े – बड़े स्तूप को देखकर बहुत प्रसन्न हुए थे।
9. हर्षवर्द्धन के समय में कौन चीनी यात्री भारत आया था। उस समय नालंदा की दशा क्या थी ?
उत्तर – इतिहास के अभिलेखों से हमको मालुम पड़ता है। की हर्षवर्द्धन के समय 7वीं शताब्दी में युवानचांग भारत आए थे। उस समय नालंदा अपनी उन्नति के शिखर पर था।
10. नालंदा के नामकरण के बारे में किस चीनी यात्री ने किस ग्रंथ के आधार पर क्या बताया है ?
उत्तर – नालंदा के नामकरण के बारे में चीनी के यात्री युवानयांग ने एक जातक कहानी का हवाला देते हुए बताया है। कि नालंदा का यह नाम इसलिए पड़ा था। क्योकि यहाँ अपने पूर्व-जन्म में उत्पन्न भगवान बुद्ध को तृप्ति नहीं होती थी।( न – अल – दा )।
11. नालंदा विश्वविद्यालय का जन्म कैसे हुआ ?
उत्तर – नालंदा विश्वविद्यालय का जन्म जनता के उदार दान से हुआ कहा जाता है। कि इसका आरंभ पाँच सौ व्यापारियों के द्वारा अत्यधिक दान देने से हुआ था। जिन्होंने अपने धन से भूमि खरीदकर बुद्ध को दान में दिया था। जिसपर आज नालंदा विश्वविद्यालय अवस्थिति है। इसप्रकार नालंदा विश्वविद्यालय का जन्म हुआ था। तथा आज भी नालंदा विश्वविद्यालय आज भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
12. यशोवर्मन के शिलालेख में वर्णित नालंदा का अपने शब्दों में चित्रण कीजिए?
उत्तर – इतिहास के 8वीं शताब्दी के यशोवर्मन के शिलालेख में नालंदा का बहुत ही बड़ा भव्य वर्णन किया गया है। यहाँ के विहारों की पंक्तियों के ऊँचे-ऊँचे शिखर आकाश में मेघों को छूते थे। उनके चारों ओर नीले जल से भरे हुए सरोवर थे। तथा जिनमें सुनहरे और लाल कमल खिले रहते थे। बीच-बीच में सघन आम्रकुंजों की छाया थी। यहाँ के भवनों के शिल्प और स्थापत्य को देखकर आश्चर्य होता था। की उनमें अनेक प्रकार के अलंकरण और सुन्दर मूर्तियाँ थीं। यह तो भारत वर्ष में अनेक हैं। किन्तु नालंदा उन सबमें अद्भुत है।
13. इत्सिंग कौन था? उसने नालंदा के बारे में क्या बताया है ?
उत्तर – इत्सिंग एक चीनी यात्री थे। उनके समय में नालंदा विहार में तीन सौ बड़े कमरे और आठ मंडप थी। तथा नालन्दा आर्थिक दृष्टि से काफी मजबूत स्थिति में थी। और नालंदा ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में भी बहुत आगे था। जो पुरातत्व विभाग की खुदाई में नालंदा विश्वविद्यालय के जो अवशेष प्राप्त हुए हैं। उनमे इन बातो का वर्णनों की सच्चाई प्रकट किया गया है।
Bseb Class 9 Hindi Bharat ka puratan vidyapith nalanda
14. विदेशों के साथ नालंदा विश्वविद्यालय के संबंध का कोई एक उदाहरण दीजिए ?
उत्तर – विदेशों के साथ नालंदा विश्वविद्यालय का जो संबंध बहुत ही अच्छा था। जिसकी जानकारी हमें स्मारक के एक ताम्रपत्र जो खुदाई में मिला है। जिससे हमें यह जानकारी प्राप्ति होती है। कि सुवर्ण दीप के शासक शैलेन्द्र सम्राट श्री बालपुत्र देव ने मगध के सम्राट देवपाल देव के पास अपना दूत भेजकर यह प्रार्थना की। कि उनकी ओर से पाँच सौ गाँवों का दान नालंदा विश्वविद्यालय को दिया जाएगा। खुदाई में मिले ताम्रपत्र के अनुसार नालंदा के गुणों से आकृष्ट होकर यवद्वीप के सम्राट बालपुत्र देव ने भगवान बुद्ध के प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करते हुए। नालंदा में एक बड़े विहार का निर्माण करवाया था।
15. नालंदा के निर्माण और अर्थव्यवस्था में आज के किन तीन राज्यों की भागीदारी थी ?
उत्तर – नालंदा के निर्माण तथा अर्थव्यवस्था के विकास में आज के तीन राज्यों का नाम निम्नलिखित है, जो इस प्रकार से है –
क. उत्तर प्रदेश
ख. बिहार
ग. बंगाल
16. नालंदा में किन पांच विषयों की शिक्षा अनिवार्य थी ?
उत्तर – नालंदा में दिए जा रहे शिक्षाओं में पांच शिक्षा बहुत ही महत्वूर्ण थी। जो इस प्रकार से है –
- शब्द विद्या या व्याकरण :- जिससे भाषा का सम्यक ज्ञान प्राप्त हो सके।
- हेतु विद्या या तर्कशास्त्र :- जिससे विद्यार्थी अपनी बुद्धि की कसौटी पर प्रत्येक बात को परख सके।
- चिकित्सा विद्या :- जिसे सीखकर छात्र स्वयं स्वस्थ रह सकें एवं दूसरों को भी निरोग बना सकें।
- शिल्प विद्या :- शिल्प विद्या को सीखना यहाँ अनिवार्य था। जिससे छात्रों में व्यवहारिक और आर्थिक जीवन की स्वतंत्रता आ सके।
- इसके अतिरिक्त अपनी रुचि के अनुसार लोग धर्म और दर्शन का अध्ययन करते थे।
17. नालंदा के कुछ प्रसिद्ध विद्वानों की सूची बनाइए ?
उत्तर – नालंदा के कुछ प्रसिद्ध विद्वानों की सूचि निम्नलिखित है, जो इस प्रकार से है –
- शीलभद्र
- ज्ञानचन्द्र
- प्रभामित्र
- गुनमति
- धर्मपाल आदि नालंदा के कुछ प्रसिद्ध विद्वानों में विख्यात थे।
Ncert 9th Class Hindi Bharat Ka Puratan Vidyapith Nalanda Notes In Hindi
18. शीलभद्र से युवानचांग ( ह्वेनसांग ) की क्या बातचीत हुई ?
उत्तर – शीलभद्र से युवानचांग ह्वेनसांग की यह बात हुई की जब वह युवानचांग नालंदा से विदा होने लगे। तब आचार्य शीलभद्र एवं अन्य भिक्षुओं ने उनसे यहाँ रुक जाने के लिए अनुरोध करने लगे। लेकिन युवानचांग ने उत्तर में यह वचन कहे यह देश बुद्ध की जन्मभूमि है। इसके प्रति प्रेम न हो सकना असंभव है। लेकिन यहाँ आने का मेरा उद्देश्य यही था। कि अपने भाइयों के हित के लिए मैं भगवान के महान धर्म की खोज करूँ। मेरा यहाँ आना बहुत ही लाभप्रद सिद्ध हुआ है।
अब यहाँ से वापस जाकर मेरी इच्छा है। कि जो मैंने पढ़ा सुना है। उसे दूसरों के हितार्थ बताऊँ और अनुवाद रूप में लाऊँ। जिसके फलस्वरूप अन्य मनुष्य भी आपके प्रति उसी प्रकार कृतज्ञ हो सकें। जिस प्रकार मैं हुआ हूँ। इस उत्तर से शीलभद्र को बड़ी प्रसन्नता हुई। और उन्होंने कहा यह उदात्त विचार तो बोधिसत्वों जैसे हैं। मेरा हृदय भी तुम्हारी सदाशाओं का समर्थन करता है।
19. ज्ञानदान की विशेषता क्या है ?
उत्तर – ज्ञानदान की विशेषता यही है। की जो ज्ञान के क्षेत्र में दान दिया जाता है। वह सीमा रहित और अनंत होता है। न उसके बाँटने वालों को तृप्ति होती है। और न उसे लेने वालों को। यही ज्ञानदान की विशेषता कही गई है।
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