Aawinyo Question Answer । Bseb Class 10 Hindi आविन्यो Subjective

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Bihar Board Class 10th Hindi Chapter 9 aawinyo – आविन्यो Question Answer

पाठ – 9
शीर्षक – आविन्यो
लेखक – अशोक वाजपेयी
जन्म – 16 जनवरी 1941 में छतीसगढ़

लेखक परिचय :- आविन्यो पाठ के लेखक अशोक वाजपेयी जी है | इनका जन्म 16 जनवरी 1941 ई. मेंदुर्ग छतीसगढ़ में हुआ था | किन्तु उनका मूल निवास मध्य प्रदेश में था | उनकी माता का नाम निर्मला देवी और पिता का नाम परमानंद वाजपेयी था |

इनकी प्रमुख रचनाएँ :- एक पतंग अनंत में , थोड़ी सी जगह , फिलहाल आदि है |

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महत्वपूर्ण बिंदु

  • अशोक वाजपेयी को साहित्य अकादमी पुरस्कार से 2004 में नवाजा गया था |
  • अशोक वाजपेयी 10 वर्ष पहले आविन्यो गए थे |
  • आविन्यो दक्षिण फ़्रांस में रोन नदी के किनारे स्थित है |
  • आविन्यो कभी पोप की राजधानी हुआ करती थी |
  • आविन्यो का पूरा नाम विलनव्व ला आविन्यो है |
  • आविन्यो एक इसाई मठ ला शत्रुज था |
  • रोन नदी के किनारे बसे दो शहर आविन्यो और विलनव्व था |
  • अशोक वाजपेयी आविन्यो में 19 दिन रह कर 35 कविताएँ लिखी थी |
  • अशोक वाजपेयी अपने साथ टाईपराईटर , 34 पुस्तके और कुछ संगीत टेप ले गए थे |
  • आविन्यो फ़्रांस का एक प्रमुख केंद्र था |
  • नदी किनारे लेखक को विनोद कुमार शुक्ल की कविता नदी चहरे लोगो की याद आती है |
  • अशोक वाजपेयी अपने आपको नदी के साथ बहता हुआ महसूस करते है |
  • अशोक वाजपेयी नदी की समानता कविता से करते है |

पाठ के साथ 

1. आविन्यो क्या है’’ और वह कहाँ अवस्थित है ?

उत्तर – आविन्यो दक्षिण फ़्रांस में रोन नदी के किनारे बसा एक पुराना शहर है |

2. हर वर्ष आविन्यो में कब और कैसा समारोह हुआ करता है ?

उत्तर – हर वर्ष आविन्यो में गर्मियों के समय में एक अत्यंत प्रसिद्ध और लोकप्रिय रंग समारोह हुआ करता है |

3. ला शत्रुज क्या है’’ और वह कहाँ अवस्थित है’’ आजकल उसका क्या उपयोग होता है ?

उत्तर – ला शत्रुज आविन्यो शहर में इसाई धर्म का मठ हुआ करता था | परन्तु अब उसे कला केंद्र बना दिया गया है |

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4. नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को क्या अनुभव होता है ?

उत्तर – नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को यह अनुभव होता है’’ की वह अंडी के जल के साथ बह रहे है |

5. नदी और कविता में लेखक क्या समानता पाते है ?

उत्तर – नदी और कविता में लेखक समानता बताते हुए लेखक कहते है | की जस तरह कई जगहों से जल आकर नदी में मिल जाते है | ठीक उसी तरह कई जगह से शब्द आकर कविता में मिल जाते है | जिस तरह नदी का कोई अंत नहीं उसी तरह कविता का भी कोई अंत नहीं | जिस तरह नहीं में लोग बह जाते है | उसी तरह कविता को पढ़कर भी लोग उसी में खो जाते है |

6. नदी तट पर लेखक को किसकी याद आती है’’ और क्यों ?

उत्तर – नदी तट पर बैठे लेखक को विनोद कुमार शुक्ल की एक कविता नदी चेहरे लोगो की याद आती है | क्योकि उस कविता में लेखक ने नदी के बारे में बहुत अच्छा भाव लिखा है |               

7. लेखक आविन्यो किस सिलसिले में गए थे ! वहां उन्होंने क्या देखा सुना ?

उत्तर – आविनयो में फिटर बुक का स्पद महाभारत प्रस्तुत किया जाने वाला था ! उसी के निमंत्रण पर लेखक आविनयो गए थे ! वहां उन्होंने देखा कि समारोह के दौरान वहां के अनेक चर्च और पुराने स्थान को रंग स्थान में बदले जाते हैं |

8. ला सत्रुज का अंतरंग विवरण अपने शब्दों में प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने उसके स्थापत्य को मौन का स्थापत्य क्यों कहा है ?

उत्तर – ला सत्रुज आर्युसियन संप्रदाय का एक ईसाई मठ है ! बहुत दिनों से उसका धार्मिक उपयोग होता रहा है ! या समुदाय मन में विश्वास करता है ! इसलिए स्थापत्य एक तरह से मोह जैसा ही लगता है ! क्योंकि जो भी कलाकृतियां है ! शांत और निक दिखाई देता है |

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9. लेखक आविन्यो क्या साथ लेकर गए थे ! और वहां कितने दिनों तक रहे ! ! लेखक की उपलब्धियां क्या रही ? 

उत्तर – लेखक आविन्यो में अपने साथ हिंदी टाइपराइटर 34 पुस्तक तथा संगीत के कुछ टिप्स भर ले गए थे ! वह वहां 19 दिनों तक रहे ! और 19 दिनों में 35 कविताएं और 27 लेखों की रचना की है |

10. प्रतीक्षा करते हैं ! पत्थर शीर्षक कविता में कवि क्यों और कैसे पत्थर का मानवीकरण करता है ?

उत्तर – प्रतीक्षा करते हैं ! पत्थर शीर्षक कविता में कवि पत्थर का मानवीकरण करता है ! और कहता है !  कि जैसे मानव किसी की प्रतीक्षा करता है ! ठीक उसी प्रकार पत्थर भी किसी का प्रतीक्षा करता है !  मानव अपने जीवन में बहुत कुछ अनुभव करता है ! ठीक उसी प्रकार पत्थर भी अपने जीवन में बहुत कुछ अनुभव करता है |

11. आविन्यो के प्रति लेखक कैसे अपना सम्मान प्रदर्शित करते हैं ?
उत्तर – आविन्यो के प्रति लेखक अपना सम्मान प्रदर्शित करते हुए कहते हैं ! कि ला सत्रुज मैं मैंने जो पाया उसकी गहरी कृतज्ञता मन में है !  और जो खोया उसकी गहरी पीड़ा भी मन में है |
12. मनुष्य जीवन से पत्थर की क्या समानता और विषमता है ?

उत्तर – मनुष्य जीवन से पत्थर की कुछ समानता है !  जो कुछ भी विषमता भी जैसे मनुष्य हर समस्या को सहन करता है !  या उस समय का निदान करता है !  उसी प्रकार पत्थर भी अपनी जीवन की समस्याओं का सहन करता है !  पत्थर शब्द ही होता है !  लेकिन यह गुण मानव में नहीं पाया जाता पत्थर निर्जीव है !  लेकिन मानव सजीव है !  यही सब पत्थर और मानव जीवन में समानता और विषमता है |

13. इस कविता से आप क्या सीखते हैं ?

उत्तर – इस कविता से हम यही सीख मिलती है !  कि जिस तरह पत्थर अपनी स्थान सादा स्थिर रहता है !  उसी तरह मनुष्य को भी अपनी ज्ञानता कोई स्थिर रहना चाहिए !  जिस तरह पत्थर हर समस्या को खेलते हैं !  उसी तरह मनुष्य को भी हर समस्या को झेलनी चाहिए |

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14. नदी तट पर लेखक को किसकी याद आती है ! और क्यों ?

उत्तर – नदी तट पर लेखक  को विनोद कुमार शुक्ला जी की याद आती है !  क्योंकि उन्होंने कहा था नदी चेहरा लोगों से मिलने की बात करती है |

15. किसके पास तटस्थ रह पानी संभव नहीं हो पाता और क्यों ?

उत्तर – लेखक का कहना है !  कि नदी के किनारे और कविता के पास तटस्थ रहना संभव नहीं हो पाता क्योंकि व्यक्ति अपनी भावुकता अथवा खुले पन के कारण वह अपने हृदय से उठ रही भावनाओं से नहीं बच पाता है !  तथा कविता और नदी हमारी नजराना को दूर से ही आकर्षित कर लेता है |

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